सिंह शशक कथा | lion and rabbit story in sanskrit

6
6789
lion and rabbit story in sanskrit, sanskrit story

Sanskrit story :- उपायेन शक्यं सर्वम्

कस्मिंश्चित् अरण्ये भासुरकः नाम सिंहः वसति स्म। सः अतीव शक्तिशाली। भासुरकः प्रतिदिनम् अनेकान् मृगान् विना कारणं मारयति स्म। एतेन वनस्य अन्ये मृगाः कष्टम् अनुभवन्ति स्म।

अतः एकदा ते मृगाः सम्भूय गत्वा भासुरकं प्रार्थितवन्तः- ” स्वामिन् ! विना कारणम् एवं मृगाणां मारणेन भवतः कः लाभः? एकस्य एव मृगस्य खादनेन भवतः उदरं पूर्णं भवति किल?

अतः अद्य आरभ्य भवतः आहारार्थं प्रतिदिनम् एकं मृगं वयमेव प्रेषयिष्यामः। भवान् तं मृगं खादतु। अन्यान् मृगान् न पीडयतु” इति।

तदा भासुरकः उक्तवान् – “तथैव अस्तु। परन्तु यस्मिन् दिने मम समीपं मृगः न आगमिष्यति, तस्मिन् दिने सर्वान् अपि मृगान् मारयिष्यामि एव ‘ इति।

मृगाः तत् अङ्गीकृतवन्तः। ततः आरभ्य प्रतिदिनं जातिक्रमेण एकः मृगः भासुरकस्य आहारत्वेन गच्छति स्म। भासुरकः तं खादति स्म। अन्ये मृगाः निर्भयम् अरण्ये सञ्चरन्ति स्म।

कदाचित् जातिक्रमेण केनचित् शशकेन भासुरकस्य आहाररूपेण गन्तव्यम् आपतितम्। सः शशकः दुःखेन सिंहसमीपं प्रस्थितवान्। मार्गे एकः कूपः आसीत्। कूपस्य उपरि गमनसमये शशकः स्वस्य प्रतिबिम्बं तत्र दृष्टवान्।

तदा तस्य मनसि कश्चन उपायः स्फुरितः। ‘ अहं भासुरकम् एतस्मिन् कूपे पातयिष्यामि ‘ इति चिन्तयन् सः विलम्बेन भासुरकस्य समीपं गतवान्।

“अद्य मृगः समये न आगतः” इति भासुरकः अतीव कुपितः आसीत्। तदा शशकः मन्दं मन्दं गत्वा प्रणम्य तस्य पुरतः स्थितवान्।

तं तर्जयन् भासुरकः उक्तवान्– “रे शशकाधम ! समये आगन्तव्यम् इति परिज्ञानं नास्ति वा भवतः? भवान् विलम्बं कृतवान् किल? अतः प्रथमं भवन्तं खादित्वा अनन्तरं सर्वं मृगकुलमेव नाशयिष्यामि” इति।

तदा शशकः विनयेन उक्तवान्– “ स्वामिन् ! मया अपराधः न कृतः। भवतः समीपं समये आगन्तव्यम् इत्येव अहं प्रस्थितः। परन्तु मार्गे अन्यः एकः सिंहः आसीत्।

सः मां दृष्ट्वा पृष्टवान्- ‘भवान् कुत्र गच्छति? ‘ इति। “भासुरकस्य आहारार्थं गच्छामि ‘ इति अहम् उक्तवान्। तदा सः उक्तवान् – “एतत् मम अरण्यम्। अत्र सर्वे अपि मृगाः मम आज्ञां पालयेयुः। भासुरकः कुत्र अस्ति ? सः चोरसिंहः स्यात्।

भवान् तम् अत्र आनयतु। आवयोः मध्ये युद्धं भवतु। युद्धे यः जयति सः एव भवन्तं खादतु’ इति। तस्य सूचनानुसारम् अहम् अत्र आगतवान्। अतः एव विलम्बः जातः” इति।

“एवम् !! तर्हि तं सिंहम् इदानीम् एव मारयामि। सः कुत्र अस्ति? प्रदर्शयतु” इति भासुरकः उक्तवान्। शशकः तं कूपसमीपं नीतवान्, कूपं प्रदर्शितवान् च।

भासुरकः तत्र जले स्वस्य प्रतिबिम्बं दृष्टवान् । क्रोधेन गर्जनं कृतवान्। कूपतः इतोऽपि उच्चैः प्रतिध्वनिः आगतः। भासुरकः तं प्रतिबिम्बमेव स्वस्य प्रतिस्पर्धिनं मत्वा तं मारयितुं तस्य उपरि आक्रमणं कृतवान्। कूपमध्ये पतितः सः जले निमग्नः मृतः च।

उपायेन शक्यं सर्वम्


 

Sanskrit Story in English Translation

There used to be a lion named Bhasurak in a forest. He was very powerful. Bhasurak used to kill many animals every day without any reason. Due to this, other animals were always scared.

So one day all those animals went to Bhasurak and prayed to him:- Swami (boss) , what is your benefit by killing all of us animals without reason?

Therefore, from today onwards every day one of us will come on its own for your food, you should eat that animal and do not kill other animals.

Bhasurak said – Okay. But on the day there is no animal in front of me, on that day I will kill all of you animals.

All the animals returned from there.According to caste, an animal used to go to Bhasuraka as its food.

Bhasuraka used to eat that animal. Other animals roamed the forest without any fear.

One day, according to caste, the time has come for the squirrel to go as the food of the Bhasuraka.The squirrel became sad and started going to Singh.

He saw a well on the way.The squirrel saw its reflection in the water as it went over the well.Seeing it, a solution came to his mind.

I started thinking that Bhasurak will somehow fall into this well that’s why Bhasaurak went late.

Thinking that I will drop Bhasuraka in this well, thinking that it was late to go to Bhasuraka.

Today, Bhasuraka got very angry when the animal did not come on time. The squirrel slowly went to the lion.

Bhasurak said with anger:- squirrel do you know the result of not coming on time?How are you late? Now I will eat you first and after that I will kill all the animals one by one.

That’s when the squirrel said comfortably:- King ! I did not commit any crime. I was going to come to you. But then a lion arrived on the road.

He asked looking at me:- Where are you going. I am the food of Bhasurak, I am going to him ” I said so.

Then he said:- this is my forest. All the animals here will obey my command. Where is Bhasuraka? He is lion thief. You bring it here.

There will be war between us. The one who wins in battle will eat you.He came in my way. So I’m late.

Okay, I will kill that lion right now. Where is that? show me” Bhasurak said this.
Squirrel:- He met me near the well, He said by showing a well.

Bhasurak sees his reflection in the water there And roar with anger does. A higher resonance comes from inside the well.



Bhasurak sees that reflection and considers him a competitor and attacks him to kill him. He dies due to falling in water

Everything is possible by Strategy


sanskrit story in hindi

किसी जंगल में भासुरक नाम का एक शेर हुआ करता था। वह बहुत शक्तिशाली था। भसुरक बिना किसी कारण के हर दिन कई जानवरों को मार देता था। इसके कारण, अन्य जानवर हमेशा डरते थे।

इसलिए एक दिन वे सभी जानवर भसूरक के पास गए और उनसे प्रार्थना की:- स्वामी, बिना किसी कारण के हम सभी जानवरों को मारने से आपका क्या फायदा है?

इसलिए आज से आपके भोजन के लिए प्रतिदिन हम में से एक जानवर आपके सामने खुद ब खुद आ जाएगा आप उस जानवर को खा लेना और दूसरे जानवरों को मत मारना।

भासुरक ने कहा – ठीक है। लेकिन जिस दिन मेरे सामने कोई भी जानवर नहीं होगा, उस दिन मैं सभी जानवरों को मार दूंगा।

सभी जानवर वहाँ से लौट आए। प्रतिदिन जाति के अनुसार एक जानवर भासुरक के पास उसका खाना बनकर जाता था।

भासुरक उस जानवर को खा लेता था। अन्य जानवर बिना किसी डर के जंगल में घूमा करते थे। एक दिन जाती के अनुसार गिलहरी का भासुरक के खाने के रूप में जाने का वक्त आ गया।

गिलहरी उदास हो गई और सिंह के पास जाने लगी। उसने रास्ते में एक कुआँ देखा। गिलहरी ने कुएं के ऊपर जाते ही पानी में अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया।

यह देखकर उसके दिमाग में एक उपाय आया। मैं भासुरक को इस कुएं में गिरा दूंगी यह सोचते सोचते उसको भासुरक के पास जाने में देर हो गई।

आज जानवर के समय पर न आने पर भस्माकुर को बहुत गुस्सा आया। गिलहरी धीरे-धीरे शेर के पास गई। भासुरक गुस्से से बोला:- हे गिलहरी क्या तुम्हें समय पर नहीं आने का परिणाम पता है?तुम्हें देर कैसे हो गई?

तभी गिलहरी ने आराम से कहा:-महाराज ! मैंने कोई अपराध नहीं करा। मैं आपके पास आने वाला था। लेकिन तभी मार्ग पर एक सिंह आ गया।

उसने मेरी तरफ देखते हुए पूछा:- तुम कहाँ जा रहे हो। मैं भसुरक का खाना हूँ, मैं उसके पास जा रहा हूँ “मैंने ऐसा कहा।

फिर उसने कहा- यह मेरा जंगल है। यहाँ के सभी जानवर मेरी आज्ञा का पालन करेंगे। भासुरका कहाँ है? वह शेर चोर है। तुम उसे यहां लेके आओ। हमारे दोनों के बीच युद्ध होगा।



जो युद्ध में जीतेगा वही तुम्हें खाएगा। वह मेरे रास्ते में आ गया। इसलिए मुझे देर हो गई। वह मेरे रास्ते में आ गया। इसलिए मुझे देर हो गई।

अच्छा मैं उस सिंह को इसी समय मार दूंगा। वह कहां है? मुझे दिखाओ” भसूरक ने ऐसा कहा। गिलहरी:- वह मुझसे कुएँ के पास मिला, उसने कुआँ दिखाकर कहा।

भसुरक वहां पानी में अपना प्रतिबिंब देखता है और गुस्से से दहाड़ता है। कुएं के अंदर से और ऊंची प्रतिध्वनि आती है।

वह प्रतिबिंब को अपना प्रतियोगी मानने लगता है और उसे मारने के लिए हमला करता है। लेकिन पानी में गिरने के कारण उसकी मौत हो जाती है।

“उपाय से सब कुछ संभव है “


  • यह कथा पंचतंत्रकथा: पुस्तक से ली गई है। इसके पुस्तक के निरूपक:-डॉ0 विश्वास: है।
  • दोस्तों मुझे उम्मीद है कि यह lion and rabbit story | sanskrit stories in English hindi Translation के तथा आपको इस कथा से कुछ न कुछ सीखने को मिला होगा और आपको यह कथा कैसी लगी हमे कम्मेंट करके जरुर बताए, धन्यवाद।

यह भी पढ़ें


 

6 COMMENTS

  1. Hi there are using WordPress for your blog platform?
    I’m new to the blog world but I’m trying to get started and set up my own. Do you require any html coding expertise to make your own blog?
    Any help would be greatly appreciated!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here