श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
सदृशं चेष्टते स्वस्या: प्रकृतेर्ज्ञानवानपि |
प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रह: किं करिष्यति || ३३ ||
sadṛiśhaṁ cheṣhṭate svasyāḥ prakṛiter jñānavān api
prakṛitiṁ yānti bhūtāni nigrahaḥ kiṁ kariṣhyati
Hindi Translation:- सब प्राणी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् अपने स्वभाव के परवश हुए कर्म करते हैं। ज्ञानवान् भी अपनी प्रकृति के अनुसार चेष्टा करता है। फिर इसमें किसी का हठ क्या करेगा।
English Translation:- All beings, wise or unwise, are forced to act by nature. What can restraint possibly do, O Arjuna?
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