तोटक छन्द | Totak Chhand

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totak chhand

तोटक | Totak

तोटक छन्द परिचय :-

  • तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में 12 वर्ण है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 48 अक्षर है।
  • इस छन्द के प्रत्येक चरण में चार सगण होते हैं (सगण,सगण,सगण,सगण)।
  • यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
  • इस छन्द के पाद के अन्त में यति होती है।

तोटक छन्द का लक्षण :-

  • वृत्तरत्नाकर में तोटक छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-

‘इह तोटकमम्बुधिसैः प्रथितम्’

वृत्तरत्नाकर

लक्षणार्थ:- जिस छन्द के चारों चरणों में चार सगण हो उसे तोटक छन्द कहते है।


  • गंगादास छन्दोमंजरी में इस वृत्त का लक्षण इस प्रकार दिया गया है:-

‘वद तोटकमब्धि सकारयुतम्’

छन्दोमंजरी

लक्षणार्थ:- जिसके प्रत्येक चरण में अन्त्यगुरु चार सगण हो, उसे तोटक कहते है।


  • पिंगल छन्द सूत्र में तोटक छन्द का लक्षण इस प्रकार दिया गया है:-

तोटक सः

छन्द सूत्र

लक्षणार्थ:- इस छन्द के चारों चरणों में चार सगण होते हैं।


तोटक छन्द का उदाहरण :-

रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं
हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं
तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।

अच्युताष्टकम्

रवि रूद्र पितामह(ब्रह्माजी)और विष्णु जी के द्वारा नमस्कृत। हरिचंदन और कुंकुम के लेप से युक्त। मुनियों के समूह और गणेश जी द्वारा सम्मान से युक्त, आपके चरणकमलों को हे! सरस्वती मां! मैं नमन करता हूं।

उदाहरण विश्लेषण :-

  • तोटक छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
    सगण सगण सगण सगण
    ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ
प्रथमपादरवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं
गणसगणसगणसगणसगण
चिन्ह।।ऽ।।ऽ।।ऽ।।ऽ
द्वितीयपादहरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
चिन्ह/गण।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)
तृतीयपादमुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं
चिन्ह/गण।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)
चतुर्थपादतव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।
चिन्ह/गण।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)।।ऽ(सगण)

अतः इस श्लोक के प्रत्येक चरण में 12  वर्ण है। इस श्लोक के प्रत्येक चरण में चार सगण है। पाद के अन्त में यति है यह लक्षण चारों चरणों में विद्यमान होने से तोटक का लक्षण घटित होता है।


यहां भी पढ़ें
  • तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में 12 अक्षर ही होते है। संस्कृत आचार्यों ने इसका लक्षण-‘इह तोटकमम्बुधिसैः प्रथितम्’
  • अर्थात् इसमें ‘इह’ का अर्थ संस्कृत छन्दशास्त्र है तथा ‘अम्बुधि’ का अर्थ समुद्र है एवं ‘सैः’ का अर्थ सगण से है। यहाँ पर अम्बुधि का अर्थ समुद्र लगाया गया है जो चार प्रकार के है- पूर्व समुद्र, पश्चिम समुद्र, दक्षिण समुद्र और उत्तर समुद्र चार समुद्र है अर्थात् चार सगण है।
  • वैसे भी सगण का तात्पर्य सोऽन्त गुरुः अर्थात् इसमें सगण अन्त में गुरु वर्ण वाला होता है- ‘अन्ते गुरु यस्य सः’ अर्थात् कहने का आशय है कि प्रथम और मध्य वर्ण लघु होगे और अन्त वर्ण गुरु होगें।
  • यह प्रमुख गयात्मक छन्द है जो मुख्य रुप से नीति, भक्ति एवं आदर्श पूरक रचनाओं के लिये प्रयुक्त किया जाता है। तुलसी दास ने रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड में कलियुग की स्थिति का वर्णन करते हुए तोटक का प्रयोग किया है।
  • भगवान श्रीवल्लभाचार्य विरचित मधुराष्टकं तोटक छन्द में है-

।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपते रखिलं मधुरं ।।


सामान्य प्रश्न
तोटक छन्द का लक्षण क्या है?

तोटक छन्द का लक्षण “इह तोटकमम्बुधिसैः प्रथितम्“।

तोटक छन्द का उदाहरण क्या है?

तोटक छन्द का उदाहरण :-
रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं
हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं
तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।

तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में कितने अक्षर होते हैं?

तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में 12  अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 48 अक्षर होते हैं।

तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में कौन कौन से गण आते है?

तोटक छन्द के प्रत्येक चरण में चार सगण आते है।


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